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मेरी नयी गजल………………………..
…………………………..”जब मौत भी होकर बेगानी”
जब उम्मीद ए जिंदगी ख़त्म हो जेन लगी,
मौत भी होकर बेगानी दूर सी जाने लगी,
आज जब देने लगा मै जिंदगी को रुखसती,
तस्वीर उसकी देखकर फिर जिंदगी याद आने लगी,
जिस तरह तेरे लिए वो खुद से बेगाना हो गया,
तू थी वजह, जो खिलाफत मै उसकी सारा जमाना हो गया,
जा रहे थे मेरी गली से पूछ बैठा तब कोई,
क्या उस से भी ज्यादा तेरा कोई दीवाना हो गया,
याद फिर शायद उसे मेरी आशिक़ी आने लगी,
उसने कहा था इन्तजार तेरा करुँगी उम्र भर,
मैंने कहा मुझे भूलकर जा तू बसा ले अपना घर,
उस वक़्त तो रोई बहुत पर खुश है अब मेरे बिना,
उसकी ख़ुशी मै खुश हु और जिन्दा भी हू उसके बिना,
जीने कि वजह यादो में उसकी अब नजर आने लगी,
याद है अश्को को मेरी आँखों से उसका चूमना,
बे वजह उसकी गली मै यू ही मेरा घूमना,
खिडकी से मुझको देखकर दरवाजे को झट से खोलना,
आँखों की गहराई से मेरी आँखों में उसका देखना,
साथ बीते उन लम्हो कि याद फिर आने लगी……………………………..
खुद कि कलम से………………………….
……………………………………………………”अंश”
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